गोगाजी/गोगापीर - राजस्थान के लोक देवता गोगाजी

आज की इस पोस्ट में राजस्थान के लोक देवता में प्रसिद्ध लोक देवता गोगाजी (गोगापीर) संबंधित जितने भी प्रश्न बन सकते थे उन सभी को शामिल किया गया है।
  • लोक देवता गोगाजी का जन्म 11वीं सदी में चूरू जिले के ददरेवा नामक स्थान पर जेवरसिंह-बाछल के घर पर हुआ था।
  • चुरू जिले के ददरेवा में इनके स्थान को सिर्षमेडी कहा जाता है जहां पर प्रतिवर्ष गोगा जी का विशाल मेला भरता है।
  • गोगाजी को सांपों का देवता कहा जाता है।
  • गोगा जी ने गौ रक्षा एवं मुस्लिम आक्रांता से देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए इसलिए गोगा जी को लोक देवता के रूप में पूजा जाने लगा इन्हें जाहर पीर या गुगा के नाम से भी पूजा जाता है।
  • राजस्थान का किसान वर्षा के बाद हल जोतने से पहले गोगाजी के नाम की राखी जिसे गोगा राखड़ी कहते हैं हल और हाली दोनों के बाधता है।
  • गोगा जी के समाधि स्थल गोगामेडी नोहर हनुमानगढ़ को धूरमेडी भी कहा जाता है गोगामेडी में प्रतिवर्ष गोगा नवमी (भाद्रपद कृष्ण नवमी) को विशाल मेला लगता है।
  • गोगाजी के थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होते हैं जहां मूर्ति स्वरूप एक पत्थर पर सर्प की आकृति अंकित होती है।
  • सांचौर में  भी गोगाजी का प्रसिद्ध मंदिर गोगाजी की ओल्डी प्रसिद्ध है।
  • गोगा जी की पूजा भाला लिए योद्धा के रूप में होती है।
  • भाला लिए घुड़सवार गोगाजी और साथ में प्रतीक सर्प होता है इनको खीर, लापसी और चूरमे का भोग लगता है।
  • गोगा जी की सवारी नीली घोड़ी थी इन्हें गोगा बापा के नाम से भी पुकारा जाता था।